भूपेश का दांव

रविवार, 19 जुलाई 2020


 दर्जन भर से ज्यादा निगम और मंडलों में नियुक्तियां कर दी गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 15 विधायकों को संसदीय सचिव की शपथ भी दिला चुके हैं।
छत्तीसगढ़ में कुल 90 सीटों में से 69 पर कांग्रेस के विधायक है और विधायकों की भारी-भरकम संख्या को देखते हुए पिछले 18 महीनों में भूपेश सरकार यह तय नहीं कर पा रही थी कि किस-किस को सत्ता का स्वाद चखा एं और किस-किस को सत्ता से दूर रखें। इसी उहापोह के चलते हफ्ते भर पहले भूपेश ने एक सूची आलाकमान को भेजी थी जिसे राजस्थान घटनाक्रम के मद्देनजर तत्काल प्रभाव से स्वीकृत कर लिया गया। हालांकि इस सूची में कई सीनियर विधायकों के नाम नहीं है। मसलन सत्यनारायण शर्मा, धनेंद्र साहू, अमितेश शुक्ला के अलावा और भी कई ऐसे नाम हैं जिनके समर्थकों को यह उम्मीद थी कि उनको मंत्री बनाया जाएगा। हालांकि नेताओं की तरफ से भी चुप्पी साधी रखी गई है। दरअसल राज्य में 13 से ज्यादा मंत्री नहीं नियुक्त करने की सीमा तय है लिहाजा इन विधायकों को नवम्बर 2018 में कांग्रेस सरकार बनने के बाद लोकसभा चुनाव फिर पंचायत चुनाव तक शांत रहने की सलाह दी गई और अब जब सूची जारी हुई है तो यह कहा नहीं जा सकता कि पार्टी में असंतोष का ऊंट किस करवट बैठेगा। खबर यह भी आई है कुछ सीनियर नेताओं को निगम और मंडल ऑफर किए गए तो उन्होंने साफ मना कर दिया।
 हालांकि बीजेपी के नेता छत्तीसगढ़ में भी ऑपरेशन लोटस के लिए तैयार बैठे लगते हैं। मसलन राज्य के कद्दावर बीजेपी नेता पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का कहना है कि मध्य प्रदेश और राजस्थान के बाद छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस सरकार पर संकट के बादल मंडराने रहे हैं। रायपुर से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस परेशान है। पार्टी में कोई नेतृत्व नहीं है और हाईकमान का कोई नियंत्रण नहीं है, इसलिए वे गलत निर्णय ले रहे है। कांग्रेस में असंतोष बढ़ेगा और जिस तरीके से सूची जारी हुई है उससे तो असंतोष और भी बढ़ जाएगा हालांकि उन को करारा जवाब भी मिला।


वरिष्ठ नेता और छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस प्रभारी पीएल पुनिया ने रायपुर में राजस्थान के सियासी हलचल को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में ऐसी कोई उलट पलट की खबर केवल शिगूफा है। राज्य में अचानक दौरे पर आए सीनियर पार्टी नेता दिग्विजय सिंह ने भी कहा बृजमोहन अग्रवाल ख्याली पुलाव पका रहे हैं और लगता है उन्होंने पैसे बहुत कमा लिए हैं तभी विधायकों को खरीदने की बात हो रही है। फिलहाल राज्य राजनीतिक प्रेक्षक सभी घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं और लिस्ट जारी होने के बाद भी पार्टी के एक भी असंतुष्ट नेता का कोई बयान नहीं आया है।
राज्य में कांग्रेस इसलिए भी आश्वस्त है कि पार्टी में एक भी ज्योतिरादित्य या सचिन नहीं है जिसकी स्वीकृति नेता के तौर पर पूरे प्रदेश में हो।
शुरुआत में कुछ हफ्ते पहले यह खबर जरूर आई थी कि राज्य के मंत्री नंबर 2 स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव बाबा जरूर अंदरखाने कुछ नाराज चल रहे हैं लेकिन बाबा ने यह बयान देकर सबको शांत कर दिया कि "राज्य में जय और वीरू की जोड़ी को कोई खतरा नहीं होने वाला है।" लेकिन यह जरूर माना जा रहा है कि जिन विधायकों को पद मिल गए वे तो चुप रहेंगे मगर जिनको नहीं मिला है उनके संगठित होने के बाद आगे क्या स्थिति बनेगी इसको लेकर सिर्फ कयास लगाए जा सकते हैं। 

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