सावन का सुरीला सेलीब्रेशन
शुक्रवार, 23 जुलाई 2010
सावन का महीना आते ही भारतीय मन पुलकित हो उठता है और छत्तीसगढ़ की सुरमई माटी सांस्कृतिक सुगंध से महकने लगती है| रायपुर समेत कई शहरों और दीगर जगहों पर सावन को सेलिब्रेट करने का उत्सवधर्मी माहौल सजीव हो उठता है| जेसीरेट विंग और अन्य सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े सुरीले नगमों के कद्रदान पिछले कई वर्षों से सावन को रिम-झिम के तरानों के साथ सेलीब्रेट करते आ रहे हैं| "फिल हारमोनिक ग्रुप" के सदस्य हर साल एक दिन एक शाम सपरिवार इकट्ठा होते है और गीत संगीत से सजी महफ़िल में अचानक कारे बदरा छा जाते हैं...पवन शोर करता है और सावन ऐसा झूमता हुआ आता है कि और दूसरी शामों से अलग वह शाम यादगार नगमों की फुहार से सरस हो उठती है| इस आयोजन से जुड़े है युवा उद्योगपति राजेश अग्रवाल जिनके साथ अनेक संगीतप्रेमियों ने मिल कर यह ग्रुप बनाया है|
राजेश को भारत के लगभग 40 हजार जेसीस सदस्यों के बीच बीते दिसंबर में जेसीस फाउन्डेशन स्टार अवार्ड मलेशिया में दिया गया था
आयोजन में उभरते सितारे सैफ-सुहेल भाईयों की जुगलबंदी जब साज से सुर मिलाती है तो सारा मंजर उस दौर में प्रवेश कर जाता है जिसमे पुराने ओल्ड हिट्स के रसिक श्रोता कह उठते हैं -आया सावन झूम के..
गीत एक ही थीम पर रखे जाते हैं-सावन पर|
सावन के सारे गीत गाए और बजाए जाते हैं| अपने-अपने फील्ड में सफल लोग एकजुट हो कर स्वान्तः सुखाय के लिए गाते हैं और देर तक चलने वाले इस आयोजन में सबसे पोशीदा बात यह होती है कि सारा कार्यक्रम एक सुरीले अनुशासन के बीच चलता है जिसमे तालियाँ स्वस्फूर्त बज उठती हैं|
ऐसे माहौल में जब समूचा छत्तीसगढ़ बारूदी धमाकों से थर्रा उठा है, ऐसे आयोजन जीवन के प्रति उमंग को उकेरते हैं और जब पूरा सामाजिक परिदृश्य फूहड़ मौजूदा बालिवुड़ी गानों की खटिया सरकाते हुए आजिज आया हुआ है, ऐसे दौर में लक्ष्मीकान्त -प्यारेलाल के दौर वाले सावन के कालजयी नगमों को फिर-फिर सुनना और गाना तपते रेगिस्तान में नखलिस्तान के समान ही लगता है|सावन का सुरीला सेलीब्रेशन हर साल की तरह इस साल भी 24 जुलाई को यादगार बनाने की तैयारी जोरों पर है जिसके लिए फिल हारमोनिक ग्रुप के सदस्य रियाज और दीगर तैयारियों में जुटे हैं|
2 comments:
सावन की फ़ुहारें आती है,पैगामें मुहब्बत लाती हैं।
बंद करो बंदुक की फ़सलें,पैगाम अमन का लाती हैं।
अच्छी पोस्ट
बढ़िया रिपोर्ट..
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