अटलजी की भतीजी, भाजपा की मुश्किलें

मंगलवार, 11 मार्च 2014

छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों के लिए टिकटों की मारामारी का शुरुआती दौर अब लगभग समाप्त है और टिकटार्थियों समेत असंतुष्टों ने अपनी-अपनी गोटियां बिछानी शुरू कर दी है। कांग्रेस और भाजपा के इर्द-गिर्द मैदान में सारा फोकस है और शेष पार्टियां तो नाम भर के लिए कवायद कर रही हैं।
अटलजी की भतीजी करुणा शुक्ला के कांग्रेस प्रत्याशी होने से भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी हो चुकी हैं। मगर करुणा के सामने फिलहाल मुश्किल ये है कि भाजपा से बाद में पहले कांग्रेस के भितरघातियों से निपटे जो उन्हें पैराशूट प्रत्याशी मान रहे हैं। बिलासपुर से पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को ही प्रत्याशी बनाए जाने की दावेदारी थी मगर पार्टी ने करु णा को उतार कर न केवल कांग्रेस में बल्कि भाजपा में भी खलबली मचा दी है।

कांग्रेस ने तीन महिला प्रत्याशियों को मौका दिया है। स्वर्गीय विद्याचरण शुक्ल की पुत्री प्रतिभा पांडे को महासमुंद से टिकट दिए जाने की प्रबल सम्भावना है। महासमुंद- कांकेर की सीटों पर असमंजस है क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी की दावेदारी है। प्रदेश की 11 सीटों में से नौ सीटों पर कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी जाहिर कर दिए हैं। इसमें जातिगत समीकरण का पूरा ध्यान रखा गया है। रायपुर की प्रतिष्ठा पूर्ण सीट पर महिला प्रत्याशी छाया वर्मा को भाजपा के दबंग सांसद रमेश बैस के मुकाबले उतारा गया है। कांग्रेस ने बस्तर से दीपक कर्मा, सरगुजा से रामदेव राम, कोरबा से चरणदास महंत, राजनांदगांव से कमलेश्वर वर्मा, दुर्ग से ताम्रध्वज साहू, रायगढ़ से डॉ. मेनका सिंह एवं जांजगीर-चांपा से प्रेमचंद सिंह को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा ने अभी प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है, लेकिन छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच का विलय भाजपा में कर भाजपा ने अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। राज्य के सभी सीटों पर प्रत्याशियों के संभावित नामों की सूची लेकर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह एवं प्रदेश प्रभारी जगत प्रसाद नड्डा दिल्ली रवाना हो गए हैं, जहां केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक में इन नामों को अंतिम मान कर भाजपा प्रत्याशियों की घोषणा 13 तारीख को होगी। खास यह है कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के सुपुत्र अभिषेक सिंह को राजनांदगांव से प्रत्याशी बनाया जा रहा है। डॉ. रमन ने इस बात की पुष्टि स्वयं की है।
राज्य में बसपा का भी अपना जनाधार है। बसपा की नजर पांच लोकसभा सीटों जांजगीर- चांपा, बिलासपुर, कोरबा, सरगुजा और रायगढ़ पर है। इन लोकसभा सीटों पर बसपा ने विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदशर्न किया है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच (विलय से बचा हुआ गुट), गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) और अन्य मिलकर संयुक्त मोर्चा बनाने की तैयारी में हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी भी छत्तीसगढ़ में जोर आजमा रही है।
रमन सिंह -छत्तीसगढ़ में भाजपा पूरी तरह से तैयार है। इस बार के चुनाव नए वातावरण में होने जा रहे हैं। देश नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहता है। लोकसभा एवं विधानसभा में मुद्दे और विषय अलग-अलग होते हैं। आम चुनाव में वोट राष्ट्रीय महत्व को ध्यान में रखकर दिए जाते हैं।
चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता प्रदेश में प्रभावी हो गई है। छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव तीन चरणों में होगें। पिछले दस सालों से लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से लगातार आगे भाजपा (वर्तमान 11 में से 10 सीटों) को इस बार कांग्रेस से की चुनौती है। हालांकि मोदी फैक्टर के अलावा भाजपा को रमन प्रभाव से भी सीटें मिलने की उम्मीद है और कांग्रेस में गुटीय असंतुलन का भी उसको लाभ मिलने का भरोसा है, मगर प्रत्याशी चयन के बाद ही स्थिति साफ होगी।

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