शराब के खिलाफ महिलाओं का हल्लाबोल

शुक्रवार, 1 मई 2009

छत्तीसगढ़ में  औरतों की आजादी का नया इतिहास गढ़ा जा रहा है। शराबियों की तो लगभग शामत ही आयी हुई है। गांवों में शराब ठेकों के खिलाफ औरतें एकजुट हो रही हैं और उनके आग्रह के आगे प्रशासन को झुकना पड़ रहा है।

पिछले दिनों  राज्य के तिल्दा ब्लॉक में निनवां गांव की महिलाओं ने आजिज आकर शराब ठेके पर धावा बोल दिया और ऐसी तोड़-फोड़ मचाई कि शराबियों के होश उड़ गये और ठेकेदार को जान बचाकर भागना पड़ा। निनवां गांव में ठेका खुल जाने पर शराबियों की बढ़ती जुर्रत ने गांव की महिलाओं का जीना दूभर कर दिया था। गांव में अधिकतर महिलाएं अनपढ़ हैं, लेकिन शराब भट्ठी की बुराई को लेकर उनमें ऐसी एकजुटता पनपी कि देखते ही देखते महिलाओं की टोलियां बन गईं और एक सामूहिक नेतृत्व में उन्होंने तरपोंगी ग्राम का मुख्य मार्ग जाम कर दिया। आसपास के गांवों की हतबंद, किरना, टड़वा और तरपोंगी की महिलाएं भी धरने में जुटीं। दिनभर की मशक्कत के बाद महिलाओं ने शराब ठेके को उलट दिया। बुजुर्ग महिलाएं और बच्चियां प्रदर्शन में खुद-ब-खुद पहुंचीं। मैने देवी ने कहा कि गांव में शराब से बुराई नहीं फैलने दी जाएगी।

महिलाएं पहले गांव के सरपंच के पास गईं। उसने यह कहकर मना कर दिया कि यह मामला जिला प्रशासन स्तर का है। उसकी दलील यह भी थी कि शराब भट्ठी को बकायदा लाइसेंस जारी हुआ है। जब महिलाओं ने सीधे भट्ठी पर ठेकेदार को पकड़ा तोवह लठैतों के सहारे अकड़ने लगा। पर तब तक पुलिस गांव पहुंच चुकी थी। आखिरकार ठेकेदार को वहां से भागना पड़ा और उसकी हिमायत कर रहे शराबी मर्दों को उनकी पत्नियों ने सरेआम जलील कर अल्टीमेटम दे दिया कि शराब भट्ठी बंद होकर ही रहेगी।

इस अभूतपूर्व धरने के बारे में सुनकर राष्ट्रीय महिला आयोग की तत्कालीन अध्यक्ष पूर्णिमा आडवाणी भी निनवां आईं। उन्होंने महिलाओं को गले लगा लिया। मौके पर ही आडवाणी की टिप्पणी थी कि यह महिला शक्ति का नायाब उदाहरण है।

वैसे छत्तीसगढ़ में इस तरह से शराब ठेकों के खिलाफ महिलाओं द्वारा एक्शन लिए जाने का यह पहला  उदाहरण नहीं है। मंदिर हसौद इलाके में पहले भी महिलाएं ऐसा कर चुकी हैं। इसी महीने सिमगा के ग्राम ओरठी में महिला समिति और लक्ष्मी महिला समिति की लगभग डेढ़ सौ महिलाों ने शराब दुकान पर पहुंचकर शराब विक्रेता को चप्पलों से धुना और फिर बोतलें  लूट लीं। महिलाओं ने शराब बेचने वाले भावेश को एक सप्ताह पहले ही चेतावनी दे दी थी। उन्होंने शराब आपूर्ति करने वाले वाहन चालक को भी दोबारा गांव में कभी पैर न रखने की चेतावनी दी।

छत्तीसगढ़ में शराब ठेकों की बढ़ती समस्या और सिसे जुड़ी तमाम तकलीफों की शिकायतें महिलाएं ही नहीं, ग्रामीण भी करते हैं। कबीरधाम जिले के ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री के पास गुहार लगायी थी कि खाम्ही-पिपरिया मार्ग पर देसी शराब ठेके से इलाके की सामाजिक स्थिति पूरी तरह बिगड चुकी है। अभनपुर के केंद्री और उपरवारा की महिलाओं ने भी मुख्यमंत्री से मिलकर गांव में नशाखोरी बंद कराने की मांग की। शराबबंदी के लिए महिलाओं का हल्ला बोल जारी है।

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