चाईना मोबाईल की तरह ध्वस्त हो गई चाईना चिमनी
शुक्रवार, 6 नवंबर 2009
चीनी मोबाईल और खिलौनों की खराब गुणवत्ता के बाद अब बिजलीघर बनाने में चीनी कंपनियाँ जिस प्रकार से खराब प्रदर्शन कर रही हैं उससे इन कंपनियों की साख पर सवाल उठ रहे हैं| | कोरबा में चीनी कंपनी सिपको आमतौर पर घरों में इस्तेमाल होने वाली आठ और दस एम्एम् की लोहे की छडों से 275 मीटर ऊंचा चिमनीमीनार बना रही थी | यह मीनार भरभरा कर गिर गयी| चिमनी के मलबे से 50 लाशें निकली| अब तक की जांच में यह भी सामने आया है कि सीमेंट और रेट के अनुपातिक मिश्रण में जम कर घालमेल किया जा रहा था और लगभग थूकपालिश वाले अंदाज में चिमनी बनाई जा रही थी जिसे आज नहीं तो कल ध्वस्त हो ही जाना था क्योंकि दुर्घटना के बाद मलबे से लोहे की छड़ें अलग और सीमेंट का मसाला अलग है जबकि भवन निर्माण सामग्री में मसाला छडों से चिपक जाता है|
मामला चूंकि न्यायिक जांच की प्रक्रिया में है लिहाजा अपना नाम नहीं छपे जाने की शर्त पर एक शीर्ष अभियंता ने बताया कि चीन की कंपनी ने जो नक्शा तैयार किया था वह सिर्फ दस-पंद्रह सालों के लिए कारगर हो सकता है जबकि भारतीय कंपनियाँ आगामी 30-40 वर्षों को देख कर काम करती है| घटना स्थल से मुआयाना कर लौटे पूर्व शिक्षा मंत्री सत्यनारायण शर्मा के अनुसार सिपको ने बालको से यह ठेका 75 करोड़ रुपयों में हासिल किया था जबकि इस निर्माणाधीन चिमनी के समीप पांच साल पहले बनाई गई चिमनी की लागत 95 करोड़ रूपये बताई गयी है| सिपको ने यह ठेका एक अन्य कंपनी आई डी पी एल को सौंप दिया जो चिमनी बना रही थी| नाम सिपको का चल रहा था| बारिश में चिमनी अचानक ढह गयी| उसका मलबा आसपास की केन्टीन और सामानघर पर गिरा|चिमनी के मलबे से 50 से भी ज्यादा शव बरामद हुए| मुख्यमंत्री ने दौरा किया और न्यायिक जांच की पहल कर दी लेकिन अभी जांच के सारे तथ्य सामने आने बाकी हैं | इस दुर्घटना ने एक सबक दिया है कि निर्माण में गुणवत्ता के साथ समझौता किया जाने पर भारी पैमाने पर जनधन की हानि
हो सकती है|
अब यह तथ्य आरोपित हो रहे हैं कि बालको ने जिस जमीन पर बिजलीघर बनाना शुरू किया था उस जमीन का हस्तांतरण वन विभाग ने नहीं किया था| कोरबा के विधायक जे सिंह अग्रवाल का आरोप है कि उच्चतम न्यायालय को भी अँधेरे में रख कर निर्माण कराया जा रहा था| नेता प्रतिपक्ष रवीन्द्र चौबे का कहना है कि पिछले विधान सभा सत्र में इस बाबत सवाल पूछे गए तो कोंग्रेस को विकास विरोधी कह दिया गया| उन्होंने कहा कि इस मामले को विधान सभा को सौंप देना चाहिए|
विशेषज्ञ इस बात पर भी आर्श्चय कर रहे हैं कि जिस जगह चिमनी गिरी वहा एक और चिमनी पिछले पांच वर्षों से खडी है लेकिन उसे कोई नुक्सान नहीं पंहुचा जबकि चीनी ढांचा पूरी तरह जमींदोज हो गया जिसका मलबा साफ़ होने में कई दिन लग गए|
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