आज भी अबूझ है आदिमयुगीन अबूझमाड़

बुधवार, 25 नवंबर 2009


छत्तीसगढ़ का बस्तर अंचल में फैला हुआ अबूझमाड़ इलाका नक्सल विरोधी आपरेशन 'ग्रीन हंट' के लिए एक बड़ा अवरोध साबित हो रहा है| बस्तर के भीतरी इलाके में करीब चार हजार वर्ग किलोमीटर इलाके में फैले अबूझमाड़ में आज भी आदिमयुगीन सभ्यता जीवित है| इसी साल सरकार ने अबूझमाड़ में घुसने पर से लगी पाबंदी हटा ली थी लेकिन यह इलाका नक्सलियों का सर्वाधिक सुरक्षित प्रशिक्षण केन्द्र बना हुआ है और सुरक्षा बलों सहित सरकार के लिए अबूझ पहेली बना हुआ है|
दक्षिनी बस्तर में अबूझमाड़ में हाल में सरकारी राजस्व सर्वे के लिए विभाग ने 25 निरीक्षको की भर्ती की थी लेकिन एक भी राजस्व निरीक्षक ने इलाके में अपनी ड्यूटी ज्वाइन नहीं की | कारण एक ही रहा -नक्सली खौफ | इस इलाके में साल के सघन वन फैले हुए हैं| आज भी इलाके में जगह जगह तत्कालीन मध्य प्रदेश शासन के बोर्ड नजर आते हैं |
पुलिस वाले तो भूल कर भी इधर नहीं झांकते और वन समेत दीगर सरकारी महकमों के अधिकारी -कर्मचारी डर के मारे जंगल से दूर ही रहते हैं|
अबूझमाड़ में कुल 237 राजस्व गांवों का पिछले साल एरियल सर्वे हुआ था लेकिन यह सच है कि अबूझमाड़ का अंतिम राजस्व सर्वे शायद शहंशाह अकबर के जमाने में ही हुआ था और तब हालात इतने बुरे नहीं थे कि सरकारी कारिंदे नक्सलियों के भय से भीतर नहीं घुस पाते थे|
इलाके में सर्वाधिक ग्राम नारायणपुर जिले में आते हैं जो सघन नक्सल प्रभावित इलाका है| नक्सलियों की दंडकारन्य जोन कमेटी ने इस इलाके को स्वतंत्र क्षेत्र घोषित कर रखा है और जानकार बताते हैं कि यहाँ नक्सलियों के दर्जनों स्थायी शिविर चल रहे हैं|
पिछले साल नक्सलियों ने इलाके के 40 आदिवासियों का अपहरण कर लिया था लेकिन जंगल में उनका क्या हुआ इसकी कोई खबर नहीं आ सकी| इलाके में आज भी तीरधनुष के सहारे शिकार होते हैं| आदिवासी अधोवस्त्र पहनते हैं और घोटुल जैसी प्रथाओं को जारी रख कर आधुनिक दुनिया से पूरी तरह कटे हुए हैं|
सरकार की एक भी योजना यहाँ नहीं चल रही है| स्कूल, अस्पताल, हेंडपंप और सड़क जैसी सुविधाएं तो बहुत दूर की बात है| नक्सली उनके बीच घुल-मिल गए हैं और उनकी भाषा में ही बात करते हैं | पुलिस के कई अधिकारी यह मानते हैं कि जमीनी लड़ाई में अबूझमाड़ में बेहद कठिनाइयां हैं लेकिन् इसका उपाय अगर ढूँढ भी लिया गया है तो उसे घोषित नहीं किया गया है| बस्तर के पुलिस महानिरीक्षक टी जे लांगकुमेर ने कहा कि अब पुलिस बल अबूझमाड़ के जंगल में घुसने की तैयारी में हैं| इस इलाके में कई सालों से कोई बाहरी आदमी नहीं पंहुच पाया है और वहा दर्जनों स्थानों पर नक्सलियों के प्रशिक्षण शिविर चल रहे हैं| माना जा रहा है कि अबूझमाड़ में पुलिस ने दबिश दे दी तो इसे नक्सलियों उनके खिलाफ उसकी एक बड़ी सफलता कहा जाएगा|

छत्तीसगढ़ के राजस्व एवं स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल का कहना है की वे इस पर विचार कर रहे हैं कि इलाके के जमीनी सर्वे का काम निजी क्षेत्र से करा लिया जाए क्योंकि रेवेन्यू इंस्पेक्टरों से काम नहीं हो पाया है| इस बारे में शीघ्र निर्णय लिए जाएंगे|

5 comments:

समय चक्र 25 नवंबर 2009 को 6:31 am बजे  

अबूझमाड़ के बारे में आपकी पोस्ट से काफी कुछ जानने का मौका मिला . आश्चर्य का विषय है की आजादी के बाद भी लोग आदिम युग में जी रहे है . सरकारी विकास की धारा न पहुंचने के कारण लोग बाग़ पिछड़े है उसका सर्वाधिक फायदा नक्सलियों को हो रहा है उन्होंने इसीलिए अपनी वहां पर जड़े जमा ली है . किसी भी क्षेत्र में नक्सलवाद जैसी समस्याओ से निपटने के लिए सरकार को वहां विकास की धारा बहाना चाहिए और वहां के स्थानीय आदिवासियो को अपने विश्वास में सरकार को लेना चाहिए ... तभी जाकर इसी समस्याओ से निजात पाया जा सकता है . जानकारीपूर्ण आलेख के लिए धन्यवाद

ब्लॉ.ललित शर्मा 25 नवंबर 2009 को 8:40 am बजे  

जानकारीपूर्ण आलेख धन्यवाद

Udan Tashtari 25 नवंबर 2009 को 6:02 pm बजे  

बहुत जानकारीपूर्ण आलेख प्रस्तुत किया है आपने.

36solutions 26 नवंबर 2009 को 4:50 am बजे  

बडे़ भाई, अबूझ अबूझमाड से ब्‍लागजगत को परिचित कराने के लिए बहुत बहुत धन्‍यवाद.

vijayshree 6 अगस्त 2012 को 1:37 am बजे  

It is a very realistic and important information related to Abuj Mad.

एक टिप्पणी भेजें

संपर्क

Email-cgexpress2009@gmail.com

  © Free Blogger Templates Columnus by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP