उद्योग लगाने वालों को कालिख

मंगलवार, 8 जून 2010


छत्तीसगढ़ में नए उद्योग धंधे लगाने वालों को अब नए किस्म के सामाजिक और ग्रामीण विरोध से जूझना पड़ रहा है और उद्योग के लिए जमीनें लेने जाने वाले अफसरों को बंधक बनाने और गांव से खदेड़ने की कोशिश करने की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है| जिंदल,टाटा स्टील और एस्सार सहित कई उद्योग समूह इस तरह की दिक्कतों से जूझ रहे हैं| हाल में रायगढ़ जिले के दर्रामुड़ा में एस के एस इस्पात एंड पांवर लिमिटेड के तीन अधिकारियों को एक गाँव में बंधक बनाने और एक पुलिस अधिकारी पर हमला करने के आरोप में पुलिस ने 20 लोगों को गिरफ्तार किया है।

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विवेक शुक्ला के मुताबिक़ एस के एस पावर प्लांट के महाप्रबंधक के हरिहरन की रिपोर्ट पर भूपदेवपुर पुलिस ने डकैती बल्वा और बंधक बनाने के मामले में 11 नामजद एवं अन्य लोगों के विरुद्ध गैर जमानती अपराध दर्ज किया है। इसी तरह खरसिया(रायगढ़) के अनुविभागीय पुलिस अधिकारी जे एस राखरा की रिपोर्ट पर शासकीय कार्य में बाधा डालने शासकीय कर्मियों से मारपीट और पुलिस की हत्या की असफल कोशिश करने के मामले में नौ नामजद एवं अन्य लोगों के विरुद्ध गैर जमानती मामला दर्ज किया है। गांववालों का आरोप है- उद्योग के लिए उनसे जमीन जबरन छीनी जा रही थी लिहाजा पूरा गाँव एकत्र हो गया और अफसरों के मुंह पर कालिख पोत दी गयी और दिन भर उनको खुले बदन धूप में खड़े रखा गया| पुलिस ने मौके पर दबिश दे कर अफसरों को छुडाया|

इस तरह का मामला बस्तर में भी सामने आ रहा है जहां संयंत्र लगाने का सामूहिक विरोध राज्य सरकार के लिए चुनौती है| टाटा घराने को छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में आदिवासी किसानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। किसान वहां टाटा स्टील के इस्पात कारखाने के लिए जमीन देने में आनाकानी कर रहे हैं। अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विख्यात चित्रकोट जलप्रपात के पास लोहंडीगुडा क्षेत्र में टाटा स्टील तकरीबन 17 हजार करोड़ रुपयों की लागत से 60 लाख टन उत्पादन क्षमता का एकीकृत इस्पात कारखाना लगाने जा रहा है। इसके लिए इसे चार हजार एकड़ जमीन की दरकार है। कंपनी ने तकरीबन 15 सौ एकड़ जमीन के लिए एक लाख रु. प्रति एकड़ की दर से किसानों को मुआवजा देकर इसमें से छह सौ एकड़ जमीन पर कब्जा भी कर लिया है लेकिन बाकी जमीन पर कब्जा देने में किसान आनाकानी कर रहे हैं। स्थानीय कम्युनिस्ट नेता मनीष गुंजाम के नेतृत्व में टाटा का विरोध शुरू है| कुंजाम कम्युनिस्ट पार्टी के बैनर तले विधान सभा चुनाव भी लड़ चुके हैं| वे विरोध प्रदर्शन भी कर चुके हैं| ग्रामीणों का कहना है कि इस्पात संयंत्र के लिए चिन्हित जमीन का एक बड़ा हिस्सा उर्वर एवं कृषि योग्य है। किसानों ने अपनी 13 सूत्री मांगों का एक ज्ञापन भी दिया है। सूत्रों के अनुसार जिस दिन जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी, कंपनी उसके बाद यहां उत्पादन शुरू कर देगी। दरअसल विरोध के पीछे एक वजह यह भी बताई जा रही है कि इस्पात संयंत्र लगाने की घोषणा और इसके लिए जमीन अधिग्रहण करने के बाद से ही इलाके में जमीन के दाम आसमान छूने लगे हैं। किसान अब अपनी जमीन का मुआवजा नई बाजार दर पर मांगने लगे हैं।लोहंडीगुडा क्षेत्र में तनाव की स्थिति निर्मित हो रही है| पिछले दिनों गुस्साए लोगों ने पुलिस बल पर हमला कर दिया था जिसमें अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रोहित कुर्रे सहित चार लोग घायल हो गये थे।

इधर रायगढ़ जिले में जन विरोध के चलते जिंदल समूह को भी संयंत्र लगाने में मुश्किलें आ रही हैं| पिछले शनिवार को रात 11 बजे तक चली जिंदल विद्युत संयंत्र की जन सुनवाई में 600 से ज्यादा पुलिस बल की उपस्थिति के बावजूद जिला प्रशासन और जिंदल प्रबंधन को ग्रामीणों के जबर्दस्त विरोध का सामना करना पड़ा। रायगढ़ जिले में बीते दिनों एस के एस इस्पात के तीन अफसरों को बंधक बनाने और उनके मुंह पर कालिख पोतने की घटना के बाद से स्थिति और उलझ गयी है|

3 comments:

Manoj K 8 जून 2010 को 8:57 am बजे  

sharma ji namaskar,

could you pls tell me why industrialists take chattisgarh as their first choice for setting up of industry.. I think Chattisgarh has been declared Excise Free Zone or No Excise zone..

please let me know

honesty project democracy 8 जून 2010 को 9:09 am बजे  

अब जिस उद्योग में आम जनता की सीधी भागीदारी और निगरानी ना हो वो उद्योग है ही नहीं ,क्योकि उससे सिर्फ भ्रष्टाचार का भला हो रहा है ,देश विकाश कर रहा है आम जनता मजबूरी में चोरी और भयंकर बेईमानी करने के बाद भी भूखे मर रही है ?

Jandunia 8 जून 2010 को 10:43 am बजे  

उद्योग विकास की एक सीढ़ी है, इसका विरोध ठीक नहीं है।

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