नक्सलियों के हवाले कालाहांडी
शनिवार, 9 अक्तूबर 2010
बस्तर और सरगुजा में भीषण तपाने के बाद लाल हवाओं की बढ़ती धमक ने छत्तीसगढ़ के शांत पड़े पूर्वी दक्षिणी मुहाने पर बंदूकों और बूटों की हलचल बढ़ा दी है| ये हलचल नई चिंताओं का सबब बन रही है और इलाके में आम जनजीवन आने वाले समय के एक खामोश तूफ़ान की आहट से सशंकित है| खुली ख़बरें बताती हैं कि राष्ट्रीय राजमार्ग (217) पर उनकी पदचाप एक नए संकट का आगाज कर रही है|
महासमुंद, सराईपाली,बसना, पिथौरा समेत जोंक नदी पार पश्चिमी ओडीसा में कालाहांडी और नुआपाड़ा जिले तक नक्सलियों की उपस्थिति दर्ज हो चुकी है|
कालाहांडी के नाम से भुखमरी के लिए कुख्यात एक बड़ा हिस्सा भी अब नक्सलियों के निशाने पर आ गया है|
भीषण गरीबी और जहालत की उर्वर जमीन पर नक्सली अपना सुरक्षित ठिकाना बना चुके हैं ओडीसा के नुआपाड़ा-संबलपुर-बोलांगीर जिले में गांवों में बैठकें लेनी शुरू कर दी है|ख़बरें हैं कि नुआपाड़ा-सोनाबेड़ा इलाके में नक्सलियों ने एक सरकारी इमारत को फूंक दिया और वन विभाग के अफसर की इससे पहले ह्त्या कर दी|
कालाहांडी का खरियार रोड इलाका पिछली सदी के पूर्वार्ध तक छत्तीसगढ़ में शामिल रहा है | राष्ट्रीय राजमार्ग (217) पर जोंक नदी पुल पार करते ही पश्चिम उड़ीसा शुरू हो जाता है| महासमुंद जिले के कई गांवों में वर्दी पहने नक्सलियों को देखा जा रहा है|नक्सलियों ने चारों ओर से ग्रामीणों को घेर कर नुक्कड़ नाटक दिखाया।
सोनाबेड़ा पहाड़ी इलाका है जिसकी एक सीमा छत्तीसगढ़ के देवभोग से लगी है|सोनाबेडा कोरापुट( उड़ीसा ) जिले में आता है|आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ में नक्सलियों पर दबाव बढ़ने लगा है लिहाजा अब वे नए सुरक्षित ठिकाने के रूप में सोनाबेड़ा-कालाहांडी में पाँव पसार रहे हैं|सोनाबेड़ा इलाका भी अबूझमाड़ -बस्तर की तरह दुर्गम और पर्वतीय है जहां पहुचना मुश्किल होने की वजह से नक्सली इस इलाके को नया सेफ जोन बना रहे हैं| कालाहांडी में दुर्भिक्ष और बेहद पिछड़ापन नक्सलियों को अपने पाँव जमाने में मददगार लग रहा है| खुद महासमुंद (छत्तीसगढ़) जिले के बागबाहरा में आलम यह है कि रायपुर से महज 90 किलोमीटर दूरस्थ महासमुंद जिले मुख्य राजमार्ग(217) पर पूरे दस किलोमीटर सड़क पर सिर्फ कीचड और नुकीले पत्थर हैं|
उन्होंने मीडिया और सामाजिक कार्यकर्ताओं के दबाव में चार पुलिस कर्मियों को रिहा करके अपना चेहरा बदलने की भी कोशिश की है लेकिन उनका विस्तार राष्ट्रीय राजमार्ग और पर होना उनकी रेड कारीडोर योजना को उजागर करता है| यह राजमार्ग रायपुर से भवानीपटना होते हुए गोपालपुर(पुरी-उड़ीसा) जाता है|ख़बरें हैं कि नक्सली अब यह भी तय करने लगे हैं कि लडकियां क्या पहनें जैसा कि एक नए फरमान में है कि वे जींस नहीं पहनें| क्या यही काम तालिबान भी नहीं करते रहे हैं?
2 comments:
yaayavr ghmkkd bhayi sahb aapne shi halaaton ki jankari di he hm sb milkr ab is smsyaa kaa ilaj dhundhen to bhtr he. akhtar khan akela kota rajsthan
आपने सही कहा, अब हमारी राजधानी को चारों तरफ से नक्सलियों ने घेर लिया है। और अब हम कभी भी यह सुन-पढ़ सकते हैं कि राजधानी में नक्सल धमाका। यह बस्तर में सुरक्षा बलों के बढ़ते दबाव के जवाब ने नक्सलियों ने दिखा दिया है कि वे चाहें जहां पहुंच सकते हैं। यहां शांत आबो हवा में बारूदी गंध की महक जंगलों से निकलकर अब शहर की फिज़ाओं में भी फैलने लगी है।
9.10.2010
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