कांग्रेस की कालिख

सोमवार, 25 अक्तूबर 2010

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के भीतरी हालात एक ऐसे सुसुप्त ज्वालामुखी की तरह हो गए हैं जिसमे से लावा फूटने ही वाला है| हाल में कालिख फूटी है| केन्द्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री नारायण सामी के ऊपर कांग्रेस भवन में कालिख फेंके जाने की घटना ने राजनीति के स्वस्थ मापदंडों को कलुषित कर दिया है| जिस पार्टी ने आजादी से पहले एक लम्बे समय तक जनमानस को शुचिता, सादगी और अनशन जैसी अहिंसक परम्पराओं से जोड़े रखा उसके नेताओं का पतन इस रूप में हुआ है कि अपने मतभेद या खुन्नस निकालने के लिए लोग कालिख फेंकने पर आमादा हैं|

बीते हफ्ते कांग्रेस भवन में सामी कार्यकर्ताओं से घिरे थे और कार्यकर्ताओं की भीड़ में से
ही कालिख फेंकी गयी| इस मामले का असली फ़रिश्ता अभी लापता है मगर सात लोग पकडे गए हैं| कार्यक्रम कांग्रेस भवन में था और ऐसे कार्यक्रमों में कार्यकर्ताओं के पीछे रहने में ही पुलिस वाले अपनी भलाई समझते हैं|
पुलिस ने मौके पर पकडे गए आरोपियों से उगलवा लिया है कि इस पूरे
कालिख काण्ड का सूत्रधार कांग्रेस का पुराना पदाधिकारी ही
था|
इधर पार्टी के पुराने नेताओं का कहना है कि आलाकमान जिस तरह से छत्तीसगढ़
में तीन-तीन अध्यक्ष (चरणदास महंत, धनेन्द्र साहू और सत्यनारायण शर्मा )बना कर तदर्थवाद के सहारे सभी गुटों को खुली छूट लम्बे समय से दे रहा है उसके कारण पार्टी का अनुशासनात्मक ढांचा बुरी तरह चरमरा गया है| हाल में
विधानसभा के उप-चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद गुटबाजी और बढ़ गयी है| कांग्रेस की स्थिति यह है कि तीन-तीन घुड़सवारों के भरोसे पार्टी का रथ तीन दिशाओं में दौड़ रहा है और ऊपर से नौबत यह है कि मोहसिना किदवई जैसी उम्रदराज नेत्रियाँ यहाँ से पार्टी कोटे से राज्य सभा में हैं जो भूले-भटके सिर्फ नामांकन के समय ही रायपुर आती हैं| केंद्र सरकार में छत्तीसगढ़ से मंत्रिपद पाने की मुराद में बड़े नेता रिटायरमेंट के नजदीक पहुच रहे हैं|बड़े नेताओं की यह हालत है| निचले स्तर पर कालिख सामने आने के पीछे कितना फ्रस्ट्रेशन काम कर रहा है, यह सोचनीय है|

2 comments:

ब्लॉ.ललित शर्मा 25 अक्तूबर 2010 को 7:59 am बजे  

तीन-तीन घुड़सवारों के भरोसे पार्टी का रथ तीन दिशाओं में दौड़ रहा है।

यही हकीकत है।

bahujankatha 27 अक्तूबर 2010 को 10:50 pm बजे  

दीपावली के ऐन पहले कांग्रेस में हुआ कालिख-कांड आम कार्यकर्ताओं की लगातार हो रही अनदेखी की तल्ख़ प्रतिक्रिया है। कमोबेश यह अनदेखी हर राजनीतिक दल में चल रही है। मानो या न मानो यह सत्ता की दीवानगी में पार्टियों में हावी धनबल और बाहुबल पर पोती गई है यह कालिख। ऐसे कांड छत्तीसगढ़ प्रदेश में आमजनों में कांग्रेस की पकड़ को कमजोर बनाने का काम करेगी। आपने हक़ीक़त का सटीक खुलासा किया है। जयहिंद

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