सब पर भारी श्वेता तिवारी
शनिवार, 8 जनवरी 2011
आमतौर पर सेल्यूलाईड की रोशनी में झिलमिलाते सितारों को बहुत करीब से दिखाने वाले टीवी शो बिग बॉस में दर्जन भर नामचीन हस्तियों के बीच १४ हफ्ते तक चले मुकाबले में श्वेता तिवारी सब पर भारी पडीं| बिग बॉस सीजन -४ का यह शो शुरू से ही कई कारणों से दिलचस्प बन गया था| एक तो जम कर गाली-गलौज और दूसरा हॉलीवुड सेलिब्रिटी पामेला एंडरसन की एंट्री और सारा खान की शादी की नौटंकी की वजह की वजह से। कलर्स पर प्रसारित होने वाले इस चर्चित रियलिटी शो में शशिकला की नई अवतार डाली बिंद्रा और श्वेता तिवारी के बीच झगडे के बाद से ही तय हो गया था की असली कंटेस्टेंट श्वेता ही है| श्वेता ने गुस्सा भी दिखाया लेकिन आपा खोते हुए भी वे वाचाल नहीं हुईं| उनने अपनी इमेज को आखिर तक मेंटेन किया और व्यवहार, विचार और आचार सभी मोर्चों पर वही रहीं जो वे हैं| एक घर में 14 हफ्ते बिताना किसी के लिए भी आसान नहीं है इसके बावजूद कि सब स्क्रिप्टेड हो| एक करोड़ रुपयों की राशि श्वेता ने जीत ली हैं| यह बड़ी रकम है और इस राशि से यकीनन उनको अपनी उस बच्ची के लालन पालन में मदद मिलेगी जिसका पियक्कड़ पिता उसके साथ नहीं रह पाया | शो बिजनेस की चकाचौंध से भरी दुनिया में कई श्वेता तिवारी हैं जो एक साथ कई मोर्चों पर जूझती हैं और सबको हैरान कर देती हैं जब वे अपनी प्रतिभा का लोहा भी मनवा लेती हैं|
बिग बॉस का कांसेप्ट ही शायद इसलिए सफल रहा है कि दर्शक सोप आपेरा देख-देख कर बोर हो चुके हैं| अब वे नया और स्वाभाविक देखना चाहते हैं| रील लाईफ नहीं रीयल लाईफ| यह नए दौर की दुनिया है| सूचना माध्यम इतने तगड़े हैं कि अब मायापुरी और माधुरी पढने के लिए हफ्ता भर इंतज़ार की जरुरत नहीं पड़ती| अखबार ही सितारों की जमीन नाप लेते हैं| ऐसे दौर में रीयल लाईफ हीरो या हीरोइन में दर्शक अपना अक्स ढूंढते हैं| क्या वजह रही कि शो के पूरे समय औसतन दर्शक वर्ग से श्वेता के नाम की ही पुकार मचती रही शायद इसलिए भी कि उनने सकारात्मक भारतीय मूल्यों का सर्वाधिक प्रतिनिधित्व किया और यह भी ना भूलें कि हमारे यहाँ सीता की पूछ है तो कैकेयी की भी, इसीलिए शो में लड़ लड़ कर या लड़ने के लिए हरवक्त तैयार, भीमकाय खली तक को गरिया देने वाली डाली बिंद्रा को भी दर्शकों ने खूब पसंद किया और इसलिए दुबारा उनकी एंट्री हुई|नायिका को सफल करने के लिए खलनायिका भी जरूरी है इसलिए क्रेडिट तो डाली को भी जाना चाहिए जिनके कारण श्वेता उभर पाईं|
बिग बॉस का कांसेप्ट ही शायद इसलिए सफल रहा है कि दर्शक सोप आपेरा देख-देख कर बोर हो चुके हैं| अब वे नया और स्वाभाविक देखना चाहते हैं| रील लाईफ नहीं रीयल लाईफ| यह नए दौर की दुनिया है| सूचना माध्यम इतने तगड़े हैं कि अब मायापुरी और माधुरी पढने के लिए हफ्ता भर इंतज़ार की जरुरत नहीं पड़ती| अखबार ही सितारों की जमीन नाप लेते हैं| ऐसे दौर में रीयल लाईफ हीरो या हीरोइन में दर्शक अपना अक्स ढूंढते हैं| क्या वजह रही कि शो के पूरे समय औसतन दर्शक वर्ग से श्वेता के नाम की ही पुकार मचती रही शायद इसलिए भी कि उनने सकारात्मक भारतीय मूल्यों का सर्वाधिक प्रतिनिधित्व किया और यह भी ना भूलें कि हमारे यहाँ सीता की पूछ है तो कैकेयी की भी, इसीलिए शो में लड़ लड़ कर या लड़ने के लिए हरवक्त तैयार, भीमकाय खली तक को गरिया देने वाली डाली बिंद्रा को भी दर्शकों ने खूब पसंद किया और इसलिए दुबारा उनकी एंट्री हुई|नायिका को सफल करने के लिए खलनायिका भी जरूरी है इसलिए क्रेडिट तो डाली को भी जाना चाहिए जिनके कारण श्वेता उभर पाईं|
2 comments:
हमें न तो ये शो पसंद है न ही ये रिअलिटी शो का कांसेप्ट जहाँ कुछ भी रियल नहीं होता.
भाई इसमें तो केवल लफ़्फ़ाजी के अलावा कुछ भी नहीं है।
लोग फ़ालतु टैम खोटी करते हैं।
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