सूखाग्रस्त छत्तीसगढ़
बुधवार, 16 सितंबर 2015
शुक्र है पिछले 24 घंटे से छत्तीसगढ़ में अनवरत वर्षा हो रही है मगर सूखी फसल अब हरी होने से रही। इस साल भयावह सूखे की पुष्टि हो गई है। 27 में से 20 जिले सूखे की चपेट में हैं। राज्य सरकार ने कुल 150 में से 93 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया है।किसान अपनी फसल मवेशयिों को चराने पर मजबूर हो चुके हैं। कोई सोचे कि हमें क्या, हम किसान हैं क्या ? तो तैयार रहिए चावल की कीमतों में बढ़ोतरी के लिए क्योंकि धान उत्पादक राज्यों में कमोबेश यही हाल बदहाल है। जिसे आगे चल कर बेलगाम मुनाफे की हवस में जमाखोर असहनीय बना देंगे।
राजधानी रायपुर समेत महासमुंद, राजनांदगांव, कांकेर ,धमतरी इत्यादि जिलों में अकाल की काली छाया पसर चुकी है और बारिश 50 फीसद कम हुई है लिहाजा फिलहाल खेतों में फसल सूख गयी है।
बस्तर के कई इलाके 1975 के बाद सबसे बड़े सूखे का सामना कर रहे हैं।
आंकड़ों के मुताबिक राज्य में हर साल औसतन 1200 मिमी बारिश होती है मगर इस साल मॉनसून औसत से काफी नीचे लगभग 800 मिमी रहा है। अंदेशा है कि अगर जाते मानसून में अगले 15 दिन में भारी बारिश नहीं हुई तो कई इलाकों में सूखे के हालात और बदतर हो सकते हैं।
कई इलाकों में किसान अपनी फसल मवेशयिों को चराने पर मजबूर हो चुके हैं। सितम्बर में अप्रैल जैसी गर्मी पड़ रही है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने मंत्रिपरिषद की बैठक में व्यापक विचार-विमर्श के बाद राज्य के 20 जिलों की 93 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित करने का प्रस्ताव भारत सरकार को भी भेजने के निर्णय के साथ-साथ इन तहसीलों में ग्रामीणों के लिए युद्धस्तर पर रोजगारमूलक कार्य खोलने का भी निर्णय लिया। गंगरेल बांध के गेट खोल दिए गए। किसानों का कहना है कि यदि बारिश नहीं हुई तो सूदखोरों से त्रस्त हो पलायन करना पड़ेगा।
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