पवन दीवान का चले जाना

बुधवार, 2 मार्च 2016

 पवन नहीं ये आंधी है
 छत्तीसगढ़ का गांधी है  .....
यह छात्रों किसानो बलिदानियों का देश है..
राक्षसों के चेहरे पर स्वर्ण मृग का वेश है ..
पाप की लंका जला दो राम का आदेश है ..
कौरवों को भून डालो कृष्ण का सन्देश है ..

इन आग उगलती पंक्तियों के रचियता जनकवि-संत पूर्व सांसद पवन दीवान का चले जाना बहुत अखरेगा।
छत्तीसगढ़ी  कविताओं के माध्यम से जन-चेतना की अलख जगाने वाले दीवान का जन्म 1 -1 -1945 को छत्तीसगढ़ के राजिम के पास स्थित ग्राम किरवई के प्रतिष्ठित ब्राम्हण परिवार में हुआ था।  प्रारंभिक शिक्षा गांव में तथा स्कूली शिक्षा फिंगेश्वर व उच्च शिक्षा रायपुर में हुई। आपने हिन्दी, संस्कृत एवं अंग्रेजी में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त् की। दीवान जी छात्र जीवन से ही साहित्य सृजन करने लगे थे। हिन्दी और छत्तीसगढ़ी में  कविताएं तो लिखने वाले  दीवान वक्तृत्व कौशल  से सरस भागवत कथा के प्रवचनकर्त्ता के रूप में भी गांव गांव में लोकप्रिय रहे हैं।  पृथक छत्तीसगढ़ राज्य के लिये जन आंदोलन का भी आपने नेतृत्व किया है। कांग्रेस और भाजपा  में सक्रिय रहे । 
उनकी एक कविता में वे शोषकों को चेतावनी देते हुये कहते हैं -

घोर अंधेरा भाग रहा है, छत्तीसगढ़ अब जाग रहा है,
खौल रहा नदियों का पानी, खेतों में उग रही जवानी।
गूंगे जंगल बोल रहे हैं, पत्थर भी मुंह खोज रहे हैं,
धान कटोरा रखने वाले, अब बंदूकें तोल रहे हैं
  

..... 
छत्तीसगढ़ में सब कुछ है,
पर एक कमी स्वाभिमान की।
मुझसे सही नहीं जाती है,
ऐसी चुप्पी वर्तमान की।



उनके निधन से छत्तीसगढ़ में राजनीतिक सांस्कृतिक रिक्तता बनी रहेगी।उन्हें वेंटिलेंटर पर रखा गया था। अपने बेलौस अंदाज और बेबाक ठहाकों के लिए जाने जाने वाले पवन दीवान को मस्तिष्काघात के कारन 4 दिन पहले अस्पताल में दाखिल कराया गया था मगर तबियत में कोई सुधार नहीं होने के कारण दीवान को बेहतर इलाज के लिए शनिवार को सुबह एयर एंबुलेंस से गुड़गांव के मेदंता अस्पताल में शिफ्ट किया गया मगर उनको बचाया नहीं जा सका। 
आपातकाल में सार्वजनिक मंचों से यह पंक्तियाँ सुनाने वाले छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय संत कवि और पूर्व सांसद पवन दीवान का निधन हो गया है। 

वे छ.ग.गौ सोवा आयोग अध्यक्ष भी रहे।  व्यक्तिगत तौर पर मैंने लम्बे अरसे में उनको जितना जाना और पाया वे बेहद सहृदय मददगार और अपने जीवन मूल्यों पर डटे रहने वाले इंसान थे और पूरा जीवन मस्तमौला की तरह जिए.. मेरी विनम्र श्रद्धांजलि

1 comments:

Unknown 19 मार्च 2019 को 10:17 pm बजे  

i am searching his poem - koi khelta hai hm hain khilaune n haare huye hain n jeete huye hain chaahiye . kahan milegi

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