सोलह बरस की बाली उमर को सलाम
शुक्रवार, 9 दिसंबर 2016
एक छोटे से राज्य के रूप में उदित हुआ छत्तीसगढ़ राज्य अपनी स्थापना के सोलहवें वर्ष में प्रवेश कर गया है। यह अलग बात है कि 1983 में जब एक जिला था रायपुर ...तो आम तौर पर किसी मुहल्ले में लाठियां -तलवारें निकलती थी तो हम लोग 'युगधर्म' अख़बार में हेडिंग लगाते थे 5 कालम में ..मसलन 'आज़ाद चौक में तलवारें निकली' मगर बढ़ते शहरीकरण और टूटती संवेदनाओं का हाल यह हो चुका है कि अब जघन्य हत्या तक हो जाती है और बड़े अख़बारों में महज सिंगल कालम खबर लगती है।
फिर भी कहना जायज है कि राज्य बनने से विकास तो हुआ है जो बताने के काबिल है और यह भी अच्छा लगा कि एक तेजी से बढ़ते राज्य के जश्न में उत्साह बढाने प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदीजी भी पहुंच गए।
16 साल पहले जब छत्तीसगढ़ बना तो किसी ने नहीं सोचा था कि नक्सल प्रभावित राज्य आगे चलकर भारत के अन्य राज्यों के साथ विकास की दौड़ में टक्कर लेगा। मोदी ने छत्तीसगढ़ की नई राजधानी नया रायपुर में राज्य स्थापना दिवस के मौके पर पांच दिन राज्योत्सव मनाया गया।
शहर और गांव की बात करें तो नागरिक सुविधाओं के मामले में वर्गभेद दूर होना चाहिए। एक छत्तीसगढ़ जो रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर और दीगर शहरों में नजर आता है जहां कुछ ख़ास इलाकों में अचंभित कर देने वाली शान का किसी आदिवासी को सहमा देने वाला रूतबा है, प्रगति पथ की धाक है, चमचमाती हाई मास्ट लाईटें हैं और दूसरी तरफ बहुतेरे छोटे कस्बे हैं जहां अँधेरे में टूटी सड़कें मुहाल है | यह बताता है कि सफर अभी बहुत लंबा है..मीलों चलना है। सुखद है छत्तीसगढ़ ने पिछले 15 वर्षों में बीमारू और अविकसित कहे जाने वाले सदियों पुराने कलंक को धो कर विकास दर के मामले में राष्ट्रीय कीर्तिमान बनाया है और कई बड़े राज्यों से होड़ कर ली है|
एक तरफ सरकार ने छत्तीसगढ़ में राज्य का 16वां स्थापना दिवस मनाया वहीं, कांग्रेसी इसका विरोध जताते रहे. कांग्रेस के नेताओं का आरोप है कि छत्तीसगढ़ में किसान आत्महत्या कर रहे हैं, बेरोजगार आत्मदाह कर रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि वे राज्य स्थापना दिवस का बहिष्कार करते हुए पूरे प्रदेश में आंदोलन करेंगे।
बहरहाल यह राज्य सरकार या प्रशासन की उपलब्धि की सोशल मीडिया वाली अंधाधुंध आलोचना नहीं है और यह अवसर ऐसे मुद्दे उठाने का भी नहीं है लेकिन सवाल तो उठते ही हैं| 15 साल में कई मुकाम तय करके छत्तीसगढ़ के लड़कपन को अब जवानी की तरफ बढ़ते देखना सुखद है| (ghatarani near raipur..below)
इस मौके पर किसी की लिखी यह पंक्तियां मौजूं है -
नीम का पेड़ चंदन से क्या कम है...
छत्तीसगढ़ हमारा लंदन से क्या कम है....
काजू क्या खाते हो....
कभी बोईर खाकर तो देखो...
शहर-शहर क्या जाते हो..
कभी छत्तीसगढ़ आकर तो देखो .
" छत्तीसगढिया सबले बढ़िया "
1 comments:
wah..badhu badhiya
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