खूनी रविवार की पहले से तैयारी की थी नक्सलियों ने
शनिवार, 25 जुलाई 2009
रायपुर, 13 जुलाई! छत्तीसगढ़ के 18 में से 13 जिलों में बुरी तरह पसर चुके नक्सलियों ने खूनी रविवार को ले कर पहले से बड़ी तैयारी कर रखी थी! राजनांदगांव जिले के जंगल में जंहा एक पुलिस अधीक्षक समेत 37 पुलिसकार्मिको को मौत के घात उतारा गया वंहा ढाई किलोमीटर लम्बी बारूदी सुरंग बिछाई गई थी और बड़ी संख्या में पदों की कटाई की गई थी! करीब 300 नक्सली इलाके में थे मगर पुलिस का मुखबिर तंत्र बेखबर रहा!
नक्सलियों ने एक खास दिन चुन कर पहले पुलिस को झांसा दे कर बुलाने और फायरिंग कर मार गिराने की पुराणी रणनीति पर भी इस बार काम किया! रविवार को तीन केन्द्रीय मंत्री रायपुर में थे ! बिजली मंत्री सुशील कुमार शिंदे, इस्पात मंत्री वीरभद्र सिंह और बिजली राज्य मंत्री भारत सिंह सोलंकी जब रायपुर में समारोह में व्यस्त थे ! मुख्यमंत्री डा. रमण सिंह सहित केन्द्रीय एवं राज्य के अनेक शीर्ष अफसर भी मौजूद थे!
नक्सलियों ने पिछले कुछ वर्षों से यह परम्परा सी बना ली हैं की जब भी दिल्ली से कोई मंत्री यंहा आता है तो वे लाशों के ढेर लगा कर लाल सलामी देते हैं! राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के पिछले वर्ष के राज्य प्रवास के दौरान भी बस्तर में बड़ी वारदात की गयी थी! हाल में लालगढ़ (पश्चिम बंगाल) में सेना के हाथों बुरी तरह कुचले जाने और हाल में केंद्र सरकार द्वारा आतंकवादियों की श्रेणी में रखे जाने के बाद यह खुफिया अंदेशा भी था कि चोट खाए हुए जंगली सांप उन राज्यों में कोई बड़ी गड़बड़ कर सकते हैं जन्हा उनको सरकारों की कोई परवाह नहीं है!
छत्तीसगढ़ में सलवा जुडूम (शांति के लिए आदिवासी आन्दोलन) की विफलता ने नक्सलियों के हौसले और बुलंद कर दिए हैं! रविवार की वारदात को लेकर प्रशासन में उच्च स्तर पर यह महसूस किया जा रहा है की इतनी बड़ी संख्या में शहादत को रोका जा सकता था! नक्सली हमेशा झांसा दे कर बाजी जीतते रहे हैं ! बस्तर में भी वे झांसा दे कर पुईस बल को जंगल में बुला कर एम्बुश(घात लगा कर फायरिंग) के जरिये हमले करते रहे हैं! रविवार को तडके मानपुर इलाके में बने अस्थायी शिविर में शौच के लिए गए दो जवानों को उन्होंने मर दिया और घात लगा कर बैठ गै१ बताते हैं कि नक्सलियों कि संख्या 300 के आसपास थी! वे चाहते तो आसानी से शिविर में मौजूद कुल पांच जवानो का काम तमाम कर सकते थे मगर संभवतः यह उनकी रणनीति थी जिसमे पुलिस कबल को बड़ी संख्या में वंहा बुलाना शामिल था और जिसके लिए उन्होंने बारिश के इस मौसम में व्यापक तैयारी कर ली थी१ राजनांदगांव जिला मुख्यमंत्री का निर्वाचन क्षेत्र है लिहाजा पुलिस ने संभवतः अतिरेक में कार्रवाई की ! पुलिस अधीक्षक विनोद चौबे के चालक को नज़दीक से गोली मारी गई ! चौबे उसको वापस छोड़ने मानपुर चौकी आए! सीताराम के मुताबिक नक्सली ओट लिए हुए थे! चौबे जब उसे छोड़ कर एक टुकडी ले कर वापस गए तो नक्सलियों ने सीधे उनके सिर पर गोली मारी! मौके पर 28 जवान शहीद हो गए! बाद में मौके पर जा कर नक्सलियों से लोहा ले कर उनको जंगल में खदेड़ देने वाली टीम की कमान सम्हाल रहे रे़ज के महनिरीक्षक मुकेश गुप्त के मुताबिक नक्सली वंहा सक्रिय हैं इसकी इत्तला तो थी मगर वे इतनी बड़ी संख्या में होंगे इसका अंदाज नहीं था!
1983 में कालेज की प्राध्यापिकी छोड़ कर पुलिस की नौकरी में आए स्वर्गीय विनोद चौबे को वीरता के लिए दो बार राष्ट्रपति पदक से नवाजा गया था! रायपुर में जिले के कप्तान रहते हुए उन्होंने सुन्दर नगर में हथियारों का जखीरा बरामद कर के नक्सलियों के शहरी नेटवर्क को ध्वस्त किया था और तभी से नक्सलियों के निशाने पर थे!
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