एक अकेले जामताड़ा ने पूरे छत्तीसगढ़ ही नही समूचे आसपास के राज्यों की पुलिस की नाक में दम कर दिया है। झारखंड का कुख्यात जामताड़ा साइबर अपराध का अभ्यारण्य बन गया है। छत्तीसगढ़ पुलिस ने इलाके से 725 सिम कार्ड जब्त कर आधा दर्जन आरोपियों को रायपुर लेन में सफलता हासिल की है जिन पर हजारों लोगों से ठगी के आरोप हैं।
झारखंड के दो जिलों में सक्रिय साइबर अपराधी डिजिटल डकैती के लिए देश भर की पुलिस के सामने चुनौती बन गए हैं। गिरिडीह और जामताड़ा के छह थाना क्षेत्र में सायबर अपराध के हजारों मामलों दर्ज हैं। दुमका जिले को विभाजित करके बनाया गया एक नया जिला है। यह उत्तर में देवघर जिले से, पूर्व में दुमका और पश्चिम बंगाल, दक्षिण में धनबाद और पश्चिम बंगाल तथा पश्चिम में गिरिडीह से घिरा हुआ है| देश के किसी भी कोने में साइबर ठगी होती है, तो 80 फीसदी मामलों में जामताड़ा के करमाटांड़ का मोबाइल लोकेशन आता है और अब यह एक अहम् समस्या बन गई है।
छत्तीसगढ़ पुलिस ने स्थानीय पुलिस के सहयोग से साइबर अपराध में संलिप्त दो आरोपितों को गिरफ्तार किया । खोपचवा गांव के राहुल मंडल (पिता श्यामचंद्र मंडल) व दूसरे आरोपित कल्याणरायठाढ़ी निवासी पप्पू कुमार मंडल (पिता प्रकाश मंडल) की उम्र 25 से 30 साल के बीच है। आरोपी बैंक अधिकारी बन कर लोगों से पासवर्ड पूछते और ऑनलाइन ठगी कर लेते थे। पुलिस ने इन्हें नाटकीय ढंग से इनके घर से पकड़ा। छापेमारी में दलबल के साथ पहुंची तो पूरा गांव पुलिस के खिलाफ खड़ा हो गया। बाद में स्थानीय पुलिस की मदद मिली।
सिरदद बन चुके सायबर अपराधियों के खिलाफ झारखण्ड इलाके की पुलिस भी सक्रिय है। गिरिडीह पुलिस को एक बार पुनः फर्जी बैंक अधिकारियों को पकड़ने में सफलता हाथ लगी है। हाल में साइबर अपराध के जुर्म में माइनिंग इंजीनियर के छात्र समेत चार अपराधियों को पकड़ा गया है। निर्वाचन आयोग के हाल के जागरूकता सप्ताह के दौरान प्रस्तुत एक नोट में जिक्र किया गया है कि खराब सिग्नल और कनेक्टिविटी की समस्या के बावजूद जामताड़ा में सेलफोन की तादाद अन्य संचार माध्यमों से काफी ज्यादा है जो चौकाने वाली बात है । यहां का एक संलिप्त युवा अमूमन दस सेलफोन एक साथ हेंडल करता है। इलाके में सायबर क्राइम सबसे ज्यादा है यह प्रायः हर थाने में दर्ज है। आकलन के मुताबिक अलग-अलग 150 गिरोह इस काम में संलिप्त हैं जो पुलिस के लिए चुनौती बने हुए हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में फोन कर लोगों को झांसे में डालकर उनसे एटीएम पिन लेकर उनके अकाउंट पर हाथ साफ़ करने वाले अपराधी स्कॉर्पियो में चलते हैं और कई मकान खरीद चुके हैं। वे बाकायदा ट्रेनिंग देते हैं। एक पुलिस अफसर के मुताबिक जामताड़ा में गिरोह द्वारा बीस हजार रूपये ले आकर सायबर ठगी की ट्रेनिंग दी जा रही है। इनके पास ऐशो आराम के हर साधन मौजूद हैं। इस क्राइम सिंडिकेट में बीसियों गांवों के सैकड़ो टीन एजर्स शामिल हैं। सबसे पहले दो लड़के दिल्ली से साइबर ठगी की ट्रेनिंग लेकर आए, इसके बाद उन्होंने यहां के युवाओं को ट्रेनिंग दी और तकरीबन हर घर में एक कल सेंटर चल पड़ा। कम पढ़े लिखे ये युवा अपराधी इतने सलीके से बात करते हैं कि ठगी के शिकार आसानी से जाल में फंस जाते हैं।
संपत मीणा, आइजी, सीआइडी झारखण्ड पुलिस ने बाकायदा वेबसाइट पर इश्तहार दिया है कि आए दिन साइबर अपराधियों द्वारा एटीएम फ्रॉड से लोगों को चूना लगाए जाने की खबर आती है। इसकी जानकारी के बाद भी लोग लगातार ठगी के शिकार हो रहे हैं। साइबर अपराधियों का गढ़ बन चुके जामताड़ा जिले से गिरफ्तार 12 अपराधियों ने एटीएम फ्रॉड को अंजाम देने के तरीके का खुलासा किया है। इन अपराधियों की उम्र 19 साल से 35 साल तक है। इनके मुताबिक फ्रॉड के लिए वे लोग दो तरह के मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं। एक साधारण और दूसरा स्मार्टफोन। मामले में जामताड़ा पुलिस ने सीआइडी को रिपोर्ट भेजी है।
ऐसे देते हैं फ्रॉड को अंजाम :
''स्मार्ट फोन में वे पेटीएम, ई वैलेट और एम पैसा मोबाइल वैलेट एप्लीकेशन इंसटॉल करके रखते हैं। इसके बाद वे कई नंबरों से में से किसी एक नंबर को अंदाज पर चयन करते हैं। उसके बाद उस सीरीज के नंबरों पर साधारण मोबाइल से कॉल करते हैं। लोगों को वे अपना परिचय बैंक अधिकारी के तौर पर देते हैं। साथ ही लोगों को कहते हैं कि उनका एटीएम नंबर एक्सपायर होने वाला है और उनसे उनके एटीएम कार्ड का 16 डिजिट वाला नंबर मांगते हैं। नंबर लेने के बाद उस नंबर को मोबाइल वैलेट में डालते हैं। कुछ राशि उस वैलेट में ट्रांसफर करते है। इससे एटीएम का वन टाइम पासवर्ड जेनरेट होकर भुक्तभोगी के मोबाइल नंबर पर चला जाता है। इसके बाद साइबर अपराधी उसको फोन करके यह कहते हुए वह पासवर्ड ले लेता है कि उस नंबर के जरिए आपके एटीएम को लॉक करने से बचाया जा सकता है। नंबर लेते ही उसको वह फिर से मोबाइल वैलेट एप्लीकेशन में डालता है। इससे जो राशि खाते में होती है वह सफलतापूर्वक ट्रांसफर हो जाता है। उस पैसे से अपराधी ऑनलाइन शॉपिंग के अलावा मोबाइल और डीटीएच रिचार्ज कराने के काम में इसका उपयोग करते हैं।
किसी भी परिस्थिति में मोबाइल से बात करनेवाले व्यक्ति को अपने एटीएम या डेबिट कार्ड के बारे में किसी तरह की सूचना नहीं दें। कोई अगर बैंक अधिकारी बनकर कुछ पूछता है तो उसे यह बोलें कि कुछ देर बाद वे जानकारी दे सकते हैं। इसके तत्काल बाद अपने संबंधित बैंक से संपर्क कर वास्तविकता का पता करें। शंका होने पर पुलिस को इसकी तत्काल सूचना दें।''
नौबत यह है कि अलग अलग राज्यों की पुलिस का प्रायः यहां आना जाना लगा रहता है। वजह है ठगी। राष्ट्रीय अपराध अनुसन्धान ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक 2013 में पूरे देश में साइबर अपराध के कुल 5,613 मामले दर्ज किए गए जबकि 2015 में इसकी संख्या बढ़कर 11,331 हो गई।
पुलिस के आला अफसर भी रहे हैं कि जामताड़ा में ही यह अपराध क्यों संगठित रूप से पनप रहा है। एक वजह यह मानी जा रही है कि पुलिस के पास दक्ष सायबर टीम का अभाव है और अपराधी बेखटके काम को सफाई से अंजाम दे रहे हैं।
(राष्ट्रीय सहारा नई दिल्ली मे 2016 में प्रकाशित मेरी खबर)
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